ट्रेडिंग बनाम निवेश

पैसा ही एक निवेशक या एक ट्रेडर को बाज़ार में लाता है। लेकिन अगर बाज़ार एक ही है तो दो अलग-अलग शब्द क्यों? इस लेख में, हम इन संबंधित शब्दों के बारे में सभी संदेहों को दूर करेंगे और साथ ही और भी बहुत कुछ जो शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग में रुचि रखने वालों के लिए आवश्यक है।

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ट्रेडिंग क्या है?

दो संस्थाओं के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को व्यापार यानी ट्रेडिंग माना जाता है। शाब्दिक अर्थों में, संस्थाएँ, निवेशक/ट्रेडर हैं जो विभिन्न कंपनियों के शेयरों का आदान-प्रदान करते हैं। मानव जाति के आगमन के बाद से ही ट्रेड (व्यापार)अस्तित्व में रहा है। केवल नाम बदल रहे हैं, वस्तु विनिमय प्रणाली से सोने या मुद्रा के बदले ट्रेड और आज कल मुद्रा यानी करेंसी के बदले क्रिप्टोकरेंसी।

वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार ने एक बड़ा समुदाय बनाया है, और बाज़ार गाँवों के छोटे बाज़ारों से शहरों, राज्यों, देशों और यहाँ तक कि महाद्वीपों में भी फैल गए हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज की दुनिया एक एकीकृत एकल बाज़ार है।

संचार के विकास ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि अब हम भौतिक शेयर बाज़ारों से डिजिटल बाजारों की ओर बढ़ रहे हैं। इन बाजारों के भौगोलिक विस्तार ने क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इस प्रकार यह वित्तीय दुनिया का मुख्य आधार बन गया है।

पहले लोगों के एक सीमित वर्ग की शेयरों, वस्तुओं, मुद्रा, आदि में ट्रेडिंग तक पहुँच थी, जो अब ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के आगमन से काफी हद तक बदल गया है। आज, कोई भी अपने घर के आराम से या मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से कहीं से और कभी भी ट्रेड कर सकता है।

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ट्रेडिंग निवेश की तुलना में एक अल्पकालिक प्रक्रिया है जिसमें स्टॉक, कमोडिटीज, मुद्राओं, डेरिवेटिव या अन्य वित्तीय साधनों को खरीदना और बेचना शामिल है। ट्रेडिंग में प्राथमिक उद्देश्य इन एसेट्स की कीमतों में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से लाभ कमाना है।

आज के डिजिटल शेयर बाजारों ने ट्रेडर्स को अल्पकालिक मूल्य पैटर्न का पता लगाने के लिए नवीनतम चार्ट-आधारित ट्रेडिंग तकनीकें प्रदान की हैं। ये पैटर्न उन्हें समर्थन और प्रतिरोध स्तरों और ट्रेड में प्रवेश करने के उचित बिंदुओं को निर्धारित करने, और सही रणनीतियों को चुनने में मदद करते हैं। यह तकनीकी विश्लेषण पिछली शताब्दी में बढ़ा है, और आज, कई परतें और डेटाबेस ट्रेडरों को सही और तेज़ निर्णय लेने में सक्षम बनाते हैं।

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के प्रकार

आधुनिक ट्रेडिंग पाँच प्रकारों के आसपास घूमती है। आइए उन सभी से मिलते हैं।

डे ट्रेडिंग

यह एक बहुत ही तेज़ ट्रेडिंग सिस्टम है जिसमें एक ट्रेडिंग दिन के दौरान कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक स्टॉक रखा जाता है। इस तरह के ट्रेड में शामिल ट्रेडर्स को दिन का बाज़ार बंद होने से पहले अपने लेन-देन को बंद करना होता है। यह ट्रेडिंग शेयरों में छोटे पैमाने पर होने वाले उतार-चढ़ाव से फायदा कमाने के लिए प्रसिद्ध है।

स्केलिंग

स्केलिंग, जिसे माइक्रो-ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है, इंट्राडे ट्रेडिंग का एक भाग है। इसमें बार-बार छोटा मुनाफा कमाना शामिल है, एक ही बाज़ार दिन में एक दर्जन से सौ तक। हालाँकि, प्रत्येक ट्रेड से लाभ नहीं होता है; कभी-कभी, एक ट्रेडर का घाटा आय से ज़्यादा हो सकता है। एसेट्स को होल्ड करने की अवधि आम तौर पर केवल कुछ मिनटों तक ही सीमित होती है।

स्विंग ट्रेडिंग

इसका उपयोग अल्पकालिक स्टॉक प्रवृत्तियों और पैटर्नों से फायदा उठाने के लिए किया जाता है। स्विंग ट्रेडिंग शेयरों को खरीदने के कुछ दिनों के भीतर उनसे मुनाफा हासिल करने के लिए की जाती है, आदर्श रूप से एक से सात दिनों में। ट्रेडर्स तकनीकी रूप से स्टॉक का विश्लेषण करते हैं ताकि कीमतों में उतार-चढ़ाव के पैटर्न का पता लगाया जा सके और लाभ प्राप्त किया जा सके।

मोमेंटम ट्रेडिंग

इस तरह की ट्रेडिंग में, एक ट्रेडर शेयर की कीमत की गति से लाभ प्राप्त करने की कोशिश करता है, जो कि ऊपर या नीचे हो सकती है। एक ट्रेडर ऐसे स्टॉक्स के मोमेंटम यानी गति से लाभ कमाने का प्रयास करता है जो या तो ब्रेक आउट कर चुके हैं या जल्द ही करने वाले हैं।

ऊपर की गति में, ट्रेडर औसत से ज़्यादा लाभ कमाने के लिए स्टॉक बेचता है। नीचे की ओर की गति में, जब उनकी कीमत बढ़ती है तो ट्रेडर बेचने के लिए काफी मात्रा में स्टॉक खरीदता है।

पोज़ीशन ट्रेडिंग

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ट्रेडर्स कई महीनों के लिए एसेट्स को रखते हैं, अल्पकालिक मूल्य बदलावों के बजाय स्टॉक की दीर्घकालिक क्षमता से लाभ के इरादे से। यह ट्रेडिंग शैली उन लोगों के लिए आदर्श है जो शेयर बाज़ार के साथ लगातार संपर्क में नहीं रहना चाहते हैं।

नोट! हालाँकि ट्रेडिंग अच्छी तरलता और मुनाफा प्रदान करती है, लेकिन इसमें फंड्स खोने का उच्च जोखिम भी होता है।

निवेश क्या है?

निवेशकों का लक्ष्य बाज़ार के क्रमिक विकास से लाभ प्राप्त करना है। वे स्टॉक, म्युचुअल फंड्स, बॉन्ड और अन्य वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स के पोर्टफोलियो को खरीदकर और उन्हें  रख कर लंबी अवधि में अपने लाभ में वृद्धि करते हैं।

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इस एसेट होल्डिंग को अक्सर ब्याज, लाभांश और स्टॉक स्प्लिट जैसे प्रोत्साहनों का लाभ उठाते हुए वर्षों या दशकों तक किया जाता है। बाज़ार में उतार-चढ़ाव बना रहता है, लेकिन निवेशक धैर्य रखते हैं, खासकर गिरावट के दौरान।

वे सावधानी से आगे बढ़ते हैं लेकिन बज़ार में उलटफेर की प्रतीक्षा करते हुए जोखिम उठाते हैं और अंतत: उछाल आने पर लाभ कमाने का इरादा रखते हैं। निवेशक आमतौर पर बाजार की बुनियादी बातों पर ध्यान देते हैं, जैसे कि मूल्य-से-आय अनुपात (P/E रेशो) और प्रबंधन का पूर्वानुमान।

स्टॉक या अन्य वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स जैसे एसेट्स, जो लंबी अवधि में रिटर्न उत्पन्न करने की संभावना रखते हैं, को खरीदकर निवेश किया जाता है। इसका उद्देश्य संभावित निवेश लक्ष्यों की पहचान करना है। उम्मीद विभिन्न शेयरों और इंस्ट्रूमेंट्स के बढ़ने की संभावना के साथ एक पोर्टफोलियो बनाने की है। विविधता यह सुनिश्चित करती है कि एक स्टॉक से होने वाले नुकसान की भरपाई दूसरे द्वारा की जा सके।

निवेशों में लेनदेन करते समय बार-बार बिक्री करना प्रतिबंधित है। केवल आपात स्थिति में ही शेयर बेचने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि निवेशक किसी विशेष स्टॉक में संभावित दीर्घकालिक उतार-चढ़ाव, कंपनी के प्रोफाइल में गिरावट आदि के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं। अंतत: उद्देश्य अभी भी लाभ कमाना ही है।

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ट्रेडिंग बनाम निवेश: प्रमुख अंतर

ट्रेडर्स और निवेशकों का इरादा एक ही है — लाभ प्राप्त करना। हालाँकि, ट्रेडिंग और निवेश के बीच कई अंतर हैं, लेकिन मुख्य अंतर निवेश दृष्टिकोण और इसमें शामिल समय है।

आधारनिवेशट्रेडिंग
उद्देश्य
लंबी अवधि के लिए शेयरों को खरीदने और रखने से लाभ कामना। 
अल्पावधि में स्टॉक की कीमतों में अंतर से लाभ प्राप्त करना। 
शामिल जोखिम
कम जोखिम क्योंकि कीमत में सुधार होने तक बिक्री को रोका जा सकता है।
बाजार विश्लेषण के लिए कम समय उपलब्ध होने के कारण उच्च जोखिम। 
समय
कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों या शायद दशकों तक भी हो सकता है। 
यह छोटी अवधि में की जाती है: कुछ सेकंड से लेकर कई दिनों या महीनों तक। 
लाभस्टॉक के विकास के लिए अधिक समय होने से उच्च लाभ। तेज़ ट्रेडिंग, लेकिन निवेशकों की तुलना में कम लाभ।
अतिरिक्त आयलाभांश, ब्याज और शेयर स्प्लिट कमाई का अतिरिक्त हिस्सा बन जाते हैं। कोई अतिरिक्त आय नहीं, केवल एसेट की कीमत में वृद्धि से लाभ होता है। 
मेहनत शुरुआत में कंपनी की खोज और विश्लेषण में अधिक समय और प्रयास शामिल है। बाज़ार का निरंतर अनुसंधान। 
क्या कोई उत्तोलन प्रदान किया जाता है?कोई उत्तोलन नहीं। उत्तोलन उपलब्ध है। 

ट्रेडिंग बनाम निवेश: क्या बेहतर है?

ग्रेवस्टोन डोजी

तुलना करें तो, निवेश ट्रेडिंग से बेहतर है। इसमें लगने वाला समय और मेहनत इसे ज़्यादा सुलभ बनाते हैं। लेकिन क्या ऐसा है? निवेश के लिए सावधानीपूर्वक स्टॉक का चयन करने में एक बार मेहनत करनी होती है, लेकिन ट्रेडिंग के लिए लगातार बाज़ार को पढ़ना और विश्लेषण करना आवश्यक है।

निवेश एक दीर्घकालिक परियोजना है, और इसमें शामिल जोखिम अपेक्षाकृत कम हैं। इसके विपरीत, एक ट्रेडर के पास वास्तविक समय के विश्लेषण और समय पर मूल्य के तेज़ बदलावों को पहचानने का उच्च बाज़ार कौशल होना चाहिए।

अगर आप इंतजार कर सकते हैं तो निवेश करना आपके लिए बेहतर है। लेकिन यदि आप अल्पकालिक लाभ में रुचि रखते हैं और जोखिम उठा सकते हैं तो ट्रेडिंग आपके लिए सबसे उपयुक्त है।

व्यक्तिगत फंड प्रबंधन क्षमता, जोखिम लेने की क्षमता, बाज़ार विश्लेषण के लिए समय, ज्ञान और विशेषज्ञता ट्रेडिंग और निवेश के बीच चुनाव तय करेगी। दोनों में लाभ कमाने की क्षमता है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि कौन सा बेहतर है। यह सब बाज़ार के प्रति आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

किसे निवेश करना चाहिए और किसे ट्रेड करना चाहिए?

दोनों के बीच अंतर को समझने से एक व्यक्ति को यह चुनने की अनुमति मिलती है कि वह ट्रेडर बनना चाहता है या निवेशक। यदि आपके पास बाजार का विश्लेषण करने और स्टॉक गतिविधियों को समझने का समय और कौशल है तो ट्रेडिंग आपके लिए उपयुक्त है।

यदि आपके पास समय है, तो आप निवेश करना चुन सकते हैं। आपको वित्तीय विवरण, कंपनी के विकास, इतिहास, वित्तीय अनुमानों आदि का विश्लेषण करना चाहिए। इसे एक बार का कार्य नहीं समझना चाहिए। कंपनी की गतिविधियों पर नजर रखना अभी भी आवश्यक है। समय-सीमाएं लंबी हैं, और गहन विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है। डिविडेंड और स्टॉक स्प्लिट आपको सूचित रखते हैं। यदि आप नियमित रूप से लाभांश प्राप्त करते हैं, तो यह मान लेना सुरक्षित है कि कंपनी अच्छा कर रही है।

संक्षेप में, ट्रेडर और निवेशक दोनों अलग-अलग कौशल पर भरोसा करते हैं। निवेशकों को मौलिक विश्लेषण पर ध्यान देना चाहिए और ट्रेडरों को तकनीकी विश्लेषण पर भरोसा करना चाहिए।

निवेशक की तुलना में ट्रेडर की मानसिकता क्या है?

ट्रेडर्स शातिर होते हैं और तेज़ विश्लेषणात्मक दिमाग रखते हैं। वे वृत्ति पर भरोसा करते हैं और अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं। दूसरी ओर, निवेशकों को किसी विशेष कंपनी और स्टॉक के प्रदर्शन का गंभीर रूप से विश्लेषण करने के लिए समय चाहिए होता है। वे लंबे समय तक लाभ की प्रतीक्षा करने को तैयार होते हैं।

एक ट्रेडर की तुलना में एक निवेशक का दृष्टिकोण सतर्क है। इस प्रकार, निवेशकों के एक निष्क्रिय दृष्टिकोण अपनाने की संभावना ज़्यादा है, जबकि ट्रेडर्स का बाज़ार की ओर एक सक्रिय तरीका चुनने की।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होती है?

ट्रेडिंग मुख्य रूप से चार प्रकार की होती है। वे है स्विंग, पोज़िशन, डे और स्कैल्प ट्रेडिंग।

किस में ज़्यादा जोखिम है, ट्रेडिंग या निवेश?

ओवरट्रेडिंग को पार करने में आपकी मदद करने के लिए 7 उपयोगी टिप्स

ट्रेडिंग काफी तेज़ है और इसमें ज़्यादा जोखिम शामिल है क्योंकि यह उच्च-जोखिम-इनाम दृष्टिकोण पर आधारित है। निवेश एक दीर्घकालिक रणनीति है और इसलिए इसमें कम जोखिम होता है।

निवेश के प्रकार क्या हैं?

निवेश को सक्रिय, निष्क्रिय, मूल्य, विकास, सूचकांक और मार्केट कैप-आधारित निवेश के तहत वर्गीकृत किया जाता है।

ट्रेडर और निवेशक में से कौन ज्यादा मुनाफा कमाता है?

ट्रेडर और निवेशक लाभ पाने के लिए बाज़ार में काम करते हैं। हालाँकि, ट्रेडर तुरंत मुनाफा कमाते हैं, अगर वे सही समय पर सही निर्णय लेते हैं। निवेशक लंबी अवधि में कमाते हैं और डिविडेंड के ज़रिए अतिरिक्त कमाई भी करते हैं।

निष्कर्ष 

अब तक आप ट्रेडिंग और निवेश के बीच के अंतर को समझ गए होंगे। दोनों को मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है। बाज़ार को संभालने और प्रबंधित करने के लिए ट्रेडरों और निवेशकों के तरीके अलग-अलग होते हैं। निवेशक लंबी अवधि की कमाई पर भरोसा करते हैं, दूसरी ओर, ट्रेडर, जल्दी मुनाफा कमाना चाहते हैं। कोई दोनों करना भी चुन सकता है। पसंद मुख्य रूप से एक व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता और धैर्य के स्तर पर निर्भर करती है।

निवेश में कम जोखिम होता है, जबकि ट्रेडिंग अल्पकालिक होती है और इसमें ज़्यादा जोखिम होता है। दोनों में मुनाफा कमाने की क्षमता है, लेकिन ट्रेडर्स के जल्द मुनाफा कमाने की संभावना है अगर उनकी निर्णय लेने की क्षमता उचित और सही बाज़ार विश्लेषण पर आधारित हो।

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