स्टॉक की बुनियादी बातें और वे कैसे काम करते हैं

शेयर बाज़ार में निवेश एक जोखिम भरा प्रयास है। लेकिन सही साधनों और रणनीतियों के साथ, निवेशक अपनी पूंजी से लाभ उठा सकते हैं। यह समझने के लिए आगे पढ़ें कि शेयर बाज़ार की बुनियादी बातें और विश्लेषण निवेशकों के लाभ के लिए कैसे काम करते हैं।

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स्टॉक की बुनियादी बातें क्या हैं?

स्टॉक की बुनियादी बातें वे आवश्यक कारक हैं जो निवेशकों को बाजार में किसी कंपनी के गुण या मूल्य का आंकलन करने में मदद करते हैं। ये प्रमुख मैट्रिक्स हैं जिनका उपयोग निवेशक यह जानने के लिए करते हैं कि किसी कंपनी के शेयरों का अधिक मूल्य लगाया गया है या नहीं और उसे खरीदना चाहिए की नहीं।

विश्लेषक निवेश करने से पहले किसी कंपनी के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य का आंकलन करने के लिए शेयर बाज़ार और स्टॉक की बुनयादी बातों का अध्ययन करते हैं। वे मौलिक विश्लेषण यानी फ़ंडामेंटल एनालिसिस करते हैं जिसमें वे सभी उपलब्ध आंकड़ों को देखते हैं जो किसी स्टॉक की कीमत या मूल्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह कुछ भी हो सकता है, जिसमें निवेशकों के स्टॉक ट्रेडिंग पैटर्न्स, नकदी प्रवाह, प्रति शेयर आय (EPS), लाभदायकता, घाटे का इतिहास, रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA), आदि शामिल हैं।

नोट! स्टॉक की बुनयादी बातों का विश्लेषण करने का उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि कौन से स्टॉक का बाजार में सही/गलत मूल्यांकन किया गया है।

स्टॉक की बुनयादी बातों के उदाहरण

स्टॉक की बुनयादी बातों में नापे जाने योग्य मात्रात्मक डेटा और गुणात्मक स्थितिजन्य घटक शामिल हो सकते हैं। आइए उन पर विस्तार से नज़र डालें।

मापने योग्य मात्रात्मक डेटा में शामिल हैं:

  • नकदी प्रवाह;
  • वित्तीय विवरण;
  • बैलेंस शीट;
  • डेब्ट-टू-इक्विटी रेश्यो
  • वार्षिक लाभ;
  • लाभांश का भुगतान।

दूसरी ओर, गुणात्मक स्थितिजन्य डेटा में शामिल हैं:

  • एक कंपनी का प्रतिस्पर्धी लाभ;
  • एक कंपनी का व्यवसाय मॉडल;
  • प्रबंधन कर्मचारी और उनके कौशल;
  • कंपनी की व्यावसायिक नैतिकता और नीतियाँ;
  • सप्लाई और मांग तथा अन्य सूक्ष्म आर्थिक कारक;
  • महँगाई का दर और अन्य व्यापक आर्थिक कारक।

स्टॉक की बुनियादी बातें कैसे काम करती हैं, यह जानने के लिए आपको मौलिक विश्लेषण को भी समझना होगा।

H2 – स्टॉक की बुनियादी बातें कैसे काम करते हैं?

फ्यूचर्स क्या हैं: एक निवेशक के लिए मार्गदर्शिका

मौलिक विश्लेषण किसी स्टॉक के वास्तविक मूल्य को निर्धारित करने में मदद करने के लिए डेटा का अध्ययन करने की प्रक्रिया है। यह निवेशक के शेयरों को खरीदने या बेचने के निर्णय को प्रभावित करता है।

स्टॉक्स का मौलिक विश्लेषण करते समय, निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:

  1. कंपनी की बुनयादी बातों को समझना। जिस कंपनी के बारे में आप कुछ भी नहीं जानते उसमें आँख बंद करके निवेश करना एक बुरी रणनीति है। इसलिए, आपको पहले उसकी बुनयादी बातों को जानना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या उसमें बढ़ने की क्षमता है। किसी कंपनी के मूल सिद्धांतों को समझने का मतलब है, शेयर बाज़ार में उसके समग्र प्रदर्शन और उसी उद्योग में अन्य कंपनियों की तुलना में उसके प्रदर्शन का अध्ययन करना। आप उसकी वित्तीय क्षमताओं, स्थिति, प्रबंधन और उत्पादों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. कंपनी की वित्तीय रिपोर्टों की जाँच करना। इसमें कंपनी के नकदी प्रवाह विवरण, राजस्व, ऑपरेटिंग लागत और अन्य व्यय, लाभ-हानि विवरण तथा बैलेंस शीट का विश्लेषण शामिल है। एक सकारात्मक वित्तीय रिपोर्ट इंगित करती है कि एक कंपनी की वित्तीय स्थिति उत्कृष्ट है और उसके शेयर खरीदने में कम जोखिम है। 
  3. कंपनी के ऋण की जाँच करना। ऋण एक दायित्व है जो किसी कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, निवेशकों को ज़्यादा ऋण दायित्वों वाली कंपनियों में निवेश करने की सलाह नहीं दी जाती। 1 से कम के डेब्ट-इक्विटी रेश्यो वाली कंपनी में निवेश करना सबसे अच्छा कदम है।
  4. कंपनी के प्रतियोगियों को जानना। अपने प्रतियोगियों के खिलाफ कंपनी के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य की तुलना यह देखने के लिए कि यह सबसे अच्छा निवेश निर्णय है या नहीं एक बढ़िया रणनीति है।
  5. कंपनी की संभावनाओं का विश्लेषण। एक कंपनी की लाभदायकता और आने वाले वर्षों में उसके उत्पादों की उपयोगिता इस बात के अच्छे संकेतक हैं कि क्या इस कंपनी में निवेश करना लम्बे समय में अच्छा रहेगा। 
  6. कंपनी में होने वाले बदलावों से अवगत रहें। कंपनी में निवेश करने के बाद भी कंपनी में होने वाले परिवर्तनों पर कड़ी नज़र रखना ज़रूरी है। इससे समय पर होने वाले अनावश्यक नुकसान से बचने में मदद मिलेगी। अगर आपको कंपनी में कोई परेशानी महसूस होती है, तो अपने शेयर या सिक्योरिटीज़ बेच दें।

मौलिक विश्लेषण से आप उस कंपनी की पूरी तस्वीर प्राप्त कर सकते हैं जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं। यानी, यह आपको उस कंपनी के गुणों और दोषों को सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है।

विशेष बातें

मौलिक विश्लेषण करना काफी जटिल हो सकता है और इसमें काफी समय लग सकता है। हालाँकि, यह प्रक्रिया काफी थका देने वाली है परन्तु यदि इसे सही तरीके से किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद भी है। कंपनी की संभावनाओं और योजनाओं का मूल्यांकन करके, आप यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आपका निवेश कैसा कमाएगा। यह विफलता की स्थिति में आपके निवेश को सुरक्षित रखकर गलतियों से बचने में भी आपकी मदद करेगा।

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मौलिक विश्लेषण को शेयर बाजार में पूंजी जुटाने के विश्वसनीय तरीके के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले आपको सावधानी बरतने की ज़रूरत है। मौलिक विश्लेषण की अपनी कमियाँ भी हैं। उदाहरण के लिए, जिन शेयरों का कम मूल्यांकन किया गया हो, जरूरी नहीं है कि वे एक अच्छी खरीदारी हों। कभी-कभी वे अपने वास्तविक मूल्य पर ट्रेड नहीं कर सकते हैं। इसलिए, निवेश करते समय सामान्य ज्ञान और समझ का उपयोग करना भी आवश्यक है।

नोट! कंपनी के बारे में जानकारी उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर देखी जा सकती है। साथ ही, कुछ वेबसाइटें शेयर बाज़ार के फ़ंडामेंटल्स पर लेख और PDF रिपोर्टें पेश करती हैं।

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मौलिक विश्लेषण बनाम तकनीकी विश्लेषण

मौलिक विश्लेषण के साथ किए गए तकनीकी विश्लेषण आपको यह समझने की भी अनुमति देते हैं कि क्या किसी विशेष कंपनी के शेयरों में निवेश करना उचित है। इन दोनों के बीच विशिष्ट अंतर हैं।

मौलिक विश्लेषण मूल रूप से उन कारकों की जाँच करने पर केंद्रित हैं जो भविष्य में किसी कंपनी के स्टॉक की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। यह कंपनियों के प्रतिस्पर्धियों की तुलना में किसी कंपनी की पहचान और वास्तविक मूल्य की तस्वीर हासिल करने के लिए कंपनी के राजस्व, डेब्ट-टू-इक्विटी रेश्यो, प्रबंधन प्रक्रिया, उद्योग और बहुत कुछ का विश्लेषण करते हैं।

दूसरी ओर, तकनीकी विश्लेषण चार्ट्स, पैटर्न्स  और ट्रेंड्स के माध्यम से कंपनी के मूल्य और शेयर बाज़ार में उसके शेयरों के  उतार चढ़ाव  का विश्लेषण करते हैं। तकनीकी विश्लेषण इस अवधारणा पर आधारित है कि पैटर्न्स और ट्रेंड्स  को समय के साथ पहचाना और दोहराया जा सकता है।

डेरिवेटिव ट्रेडिंग

समझने के लिए, आइए एक सरल उदाहरण लें। तकनीकी विश्लेषक बिक्री की वस्तुओं पर ध्यान नहीं देते। उनके लिए खरीदारी का असल बिंदु केवल एक साथ अत्यधिक  मांग उत्पन्न होना है। इस प्रकार, यदि एक तकनीकी विश्लेषक को पता चलता है कि ग्राहक सॉसेज की दुकान में एकत्र हुए हैं, तो तकनीकी विश्लेषक अधिक से अधिक सॉसेजेस खरीदने का प्रयास करेंगे, यह अनुमान लगाते हुए कि बढ़ती मांग इस उत्पाद की कीमत में वृद्धि का कारण बनेगी।

निष्कर्ष

स्टॉक ट्रेडिंग की बुनियादी बातों को समझना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर शुरुआती लोगों के लिए। लेकिन अगर आप आय अर्जित करने में रुचि रखते हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि स्टॉक की बुनियादी बातों को कैसे पढ़ा जाए और मौलिक और तकनीकी विश्लेषण कैसे लागू किए जाएँ। शेयर बाज़ार में पैसे खोने के जोखिम को कम करने का यह सही तरीका है।

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