डाइवर्जन्स का उपयोग करके ट्रेडिंग कैसे करें

यदि आपने आरएसआई, एमएसीडी, या स्टोकेस्टिक संकेतकों का उपयोग करना सीखा है, तो आप जानते हैं कि डाइवर्जन्स उनके संकेतों में से एक है। इसे विशिष्ट गणना की आवश्यकता नहीं है और इसे केवल प्राइस चार्ट पर पहचाना जाता है। हालांकि, प्रत्येक डाइवर्जन्स संकेत एक सफल ट्रेड की ओर नहीं ले जाता है। ऐसा क्यों है, और एक अच्छी पोजीशन में एंटर करने के लिए डाइवर्जन्स संकेत की पहचान कैसे करें? आइए एक साथ पता करें।

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डाइवर्जन्स: मूल बातें

डाइवर्जन्स एक बाजार की स्थिति है जिसमें कीमत एक दिशा में चलती है, और संकेतक इसके विपरीत चलता है। डाइवर्जन्स को परिभाषित करने के लिए, ट्रेडर्स आरएसआई, एमएसीडी, स्टोचस्टिक, या आसम आसलेटर जैसे मोमेंटम इंडीकेटर्स का उपयोग करते हैं।

इंडीकेटर्स को मोमेंटम कहा जाता है क्योंकि प्राइस मूव्स के पीछे के नियम स्पीड ऐक्सेलरेशन, और मोमेंटम को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले नियमों से मिलते जुलते हैं।

रेगुलर और हिडन डाइवर्जन्स

डाइवर्जन्स दो प्रकार के हैं – रेगुलर और हिडन। रेगुलर डाइवर्जन्स प्राइस रिवर्सल का संकेत देता है, जबकि हिडन डाइवर्जन्स ट्रेंड की पुष्टि करता है। दोनों तेजी और मंदी के रुझानों में पाए जा सकते हैं।

एक रेगुलर बुल्लिश डाइवर्जन्स तब होता है जब प्राइस लोअर लो होती है, लेकिन आसलेटर बढ़ जाता है, उच्च न्यूनतम बनाते हुए। इसका मतलब है कि बियर अपनी शक्ति खो रहे हैं। इसलिए, कीमत जल्द ही बढ़ जाएगी। डाइवर्जेंस होते ही आप लॉन्ग पोजीशन खोल सकते हैं।

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एक रेगुलर बियरिश डाइवर्जन्स का विचलन तब प्रकट होता है जब प्राइस हाईर हाई होता है, लेकिन आसलेटर नीचे चला जाता है, लोअर मैक्सिमम बनाते हुए। आसलेटर दर्शाता है कि बुल  कमजोर हो रहे हैं, और कीमत जल्दी से नीचे आ जाएगी। डाइवर्जन्स दिखाई देने पर आप शॉर्ट ट्रेड खोल सकते हैं।

हिडन बुलिश डाइवर्जन्स एक ऐसी स्थिति है जिसमें कीमत हाईर लो बनाती है, लेकिन इंडिकेटर डिक्लाइन हो जाता है, लोअर मिनिमम बनाते हुए। यह एक संकेत है कि कीमत अपट्रेंड में चलती रहेगी। आप अपना ट्रेड जारी रख सकते हैं या ट्रेंड की दिशा में एक नया ट्रेड खोल सकते हैं।

एक हिडन बियरिश डाइवर्जन्स एक ऐसी स्थिति है जिसमें कीमत कम हो जाती है, लोअर हाई बनाते हुए, लेकिन इंडिकेटर बढ़ जाता है, हाईर मैक्सिमम बनाते हुए। यह एक संकेत है कि कीमत डाउनट्रेंड में चलती रहेगी। आप अपने ट्रेड को खुला रख सकते हैं या ट्रेंड की दिशा में बाजार में प्रवेश कर सकते हैं।

आप इन सभी हाई-लो से भ्रमित हो सकते हैं। यह नियम आपको प्राइस चार्ट पर डाइवर्जन्स की पहचान करने में मदद करेगा: एक बुल्लिश ट्रेंड में, लो को देखें; एक बियरिश ट्रेंड में, हाई को देखें।

डाइवर्जन्स की पुष्टि कैसे करें?

डाइवर्जन्स, विशेष रूप से रेगुलर वाले, विश्वसनीय संकेत प्रदान करते हैं। फिर भी, बाजार में प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए इसके संकेतों का उपयोग करते समय आपको कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए।

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  1. डाइवर्जन्स लंबी अवधि की समय-सीमा पर बेहतर काम करता है: ऑसिलेटर्स आमतौर पर लैगिंग सिग्नल प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि डाइवर्जन्स होने में कुछ समय लगता है। यदि आप अल्पकालिक समय सीमा का उपयोग करते हैं, तो आप देरी से बाजार में प्रवेश करने या बाहर निकलने का जोखिम उठाते हैं।
  2. डाइवर्जन्स ट्रेंड रिवर्सल की भविष्यवाणी नहीं करता है: यह समझना महत्वपूर्ण है कि डाइवर्जन्स प्राइस रिवर्सल होने की चेतावनी देता है। हालांकि, रिवर्सल एक स्ट्रोंग ट्रेंड के भीतर हो सकता है। इस प्रकार, यह तब तक जारी रहेगा जब तक कीमत एक मजबूत सीमा को नहीं छूती।
  3. रेगुलर डाइवर्जन्स पर ध्यान दें: यह कहने योग्य है कि रेगुलर डाइवर्जन्स हिडन डाइवर्जन्स की तुलना में मजबूत संकेत प्रदान करता है।
  4. हमेशा संकेत की पुष्टि करें: ऐसी स्थिति हो सकती है जब रेगुलर डाइवर्जन्स हो जाए, लेकिन कीमत उसी दिशा में चलती है। यह जांचना सबसे अच्छा है कि कीमत उच्च समय सीमा पर कहाँ स्थित है। उदाहरण के लिए, यदि आप 4-घंटे के चार्ट पर रेगुलर बुल्लिश डाइवर्जन्स पाते हैं, तो आपको एक दैनिक चार्ट खोलना चाहिए और यह निर्धारित करना चाहिए कि कीमत एक मजबूत सपोर्ट लेवल के पास है या नहीं। यदि हां, तो आप बाय पोजीशन खोल सकते हैं। यदि नहीं, तो इस संकेत को छोड़ना बेहतर है।
  5. अन्य संकेतों की तलाश करें: डाइवर्जन्स सिग्नल पर बाजार में प्रवेश करने के बाद, आपको ट्रेड क्लोज़ करने के लिए एक बिंदु खोजना चाहिए। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया था, डाइवर्जन्स एक छोटी अवधि के लिए जारी रह सकता है। इस प्रकार, आपके द्वारा ट्रेड की जाने वाली समय-सीमा पर निकटतम सपोर्ट/रिज़िस्टन्स लेवल का पता करें और अन्य संकेतकों को लागू करें जो प्राइस रिवर्सल की भविष्यवाणी कर सकते हैं।
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क्या सीखें 

डाइवर्जन्स संकेत बहुत विश्वसनीय हैं। कई ट्रेडर्स मानक आसलेटर संकेतों के बजाए उन्हें प्रेफर  करते हैं, ओवरबोट/ओवरसोल्ड पोजीशन शामिल करते हुए। फिर भी, ठोस संकेतों पर भी आँख बंद करके भरोसा न करें; हर संकेत की पुष्टि करना सुनिश्चित करें।

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